आँच,धूप आदि के कारण उत्पन्न होनेवाली वह गरमी जो वस्तुओं को लगकर तपाती या पकाती और व्यक्तियों को लगकर शारीरिक कष्ट देती है।
मुहावरा (किसी वस्तु में) ताव आना किसी वस्तु का जितना चाहिए,उतना गरम हो जाना।
(किसी वस्तु का) ताव खा जाना तेज आँच लगने पर आवश्यकता से अधिक गरम होकर जल या बिंगड़ जाना अथवा वे स्वाद हो जाना।
कुछ या बहुत जल जाना।
(किसी व्यक्ति का) ताव खाना अधिक गरमी या धूप लगने से अस्वस्थ या विकल हो जाना।
(आँच का) ताव बिगड़ना आँच का इस प्रकार आवश्यकता के कम या ज्यादा हो जाना कि उस पर पकाई जानेवाली चीज ठीक तरह से पकने पावे।
वह आवेश या मनोवेग का उद्दीप्त रूप जो काम,क्रोध,घमंड आदि दूषित भावों या विचारों के फलस्वरूप अथवा बढ़ावा देने,ललकारने आदि पर उत्पन्न होता और बले बुरे का ध्यान भुलाकर मनुष्य को किसी काम या बात में वेगपूर्वक अग्रसर या प्रवृत्त रना।